मां-बाप को भी मारकर आंगन में गाड़ा: गर्लफ्रेंड की लाश को दफनाया था ऐसे

रिपोर्ट: ramesh pandey

भोपाल (मप्र). यहां के हाईप्रोफाइल मर्डर केस में नया खुलासा हुआ है। गर्लफ्रेंड का मर्डर कर उसकी लाश को बक्से में डालकर सीमेंट का चबूतरा बनाने वाले आरोपी ने अपने मां-बाप की हत्या करने की बात भी कबूल की है। आरोपी उदयन दास (32) ने शनिवार को पुलिस पूछताछ में यह खुलासा किया। उसने बताया कि रायपुर में 2011 में माता-पिता की हत्या करने के बाद उसने उनकी लाश घर के आंगन में ही गाड़ दी थी। क्या है यह मर्डर केस, अब क्या हुआ खुलासा... Advertisement - पश्चिम बंगाल के बांकुरा में रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा की बेटी आकांक्षा उर्फ श्वेता (28) की 2007 में उदयन नाम के लड़के से ऑरकुट पर दाेस्ती हुई थी। - जून 2016 में घर से नौकरी करने की बात कहकर अाकांक्षा भोपाल आ गई। यहां वह उदयन के साथ रहने लगी। उसने परिवारवालों को बताया कि मैं अमेरिका में नौकरी कर रही हूं। - जुलाई 2016 के बाद आकांक्षा के परिवारवालों से बात होनी बंद हो गई। भाई ने नंबर ट्रेस कराया तो लोकेशन भोपाल की निकली। - परिवार के लोगों को शक था कि आकांक्षा उदयन के साथ रह रही है। दिसंबर 2016 में आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। - एक महीने की जांच के बाद पुलिस उसके ब्वॉयफ्रेंड उदयन के घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। - पूछताछ में उसने आकांक्षा की हत्या की बात कबूली। माता-पिता के बारे में क्या बोला उदयन? - उदयन ने पुलिस को बताया कि, 2011 में वो अपने मां-बाप का भी मर्डर कर चुका है। - इसके बाद रायपुर (छत्तीसगढ़) में शांति नगर स्थित अपना मकान बेच दिया था। - आरोपी के मुताबिक, दोनों की लाशें उसने आंगन में ही गाड़ दी थीं। -रविवार को रायपुर पहुंची पुलिस ने उदयन के पुराने मकान में खुदाई के दौरान दो नर-कंकाल बरामद किए है। - शनिवार को आकांक्षा का सुभाष नगर विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उसके परिवार के लोग मौजूद थे। मां का फोन नंबर देने को राजी नहीं था, इसलिए गहराया शक - उदयन के पिता वीके दास भेल में फोरमैन थे। उदयन की मां विध्यांचल भवन में एनालिस्ट की पोस्ट से रिटायर हुई थीं। - मां की पेंशन लगभग 30 हजार रुपए आती है। फेडरल बैंक एमपी नगर शाखा में पिता के साथ उदयन का ज्वाइंट अकाउंट है। - उदयन मां की पेंशन हर माह निकालता था। लेकिन वह कहां हैं, यह बताने को तैयार नहीं था। मां का नंबर भी देने को तैयार नहीं था। उदयन ने आकांक्षा की हत्या क्यों की थी? - आकांक्षा अपने एक दोस्त से फोन पर अक्सर बात करती थी। यह बात उदयन को नागवार गुजरती थी। - 14 जुलाई 2016 की रात आकांक्षा और उदयन के बीच जमकर बहस हुई थी। आकांक्षा सो गई, लेकिन उदयन रातभर जागता रहा। मारने की प्लानिंग करता रहा। - 15 जुलाई की सुबह वह आकांक्षा के सीने पर बैठ गया और तकिए से उसका तब तक मुंह दबाता रहा, जब तक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। - इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने हाथ से उसका गला घोंट दिया। बॉडी सीमेंट के चबूतरे में दफन कर दी - आकांक्षा के मर्डर के बाद उसकी बाॅडी को उदयन दूसरे कमरे में ले गया। पुराना बॉक्स खाली कर उसमें शव डाल दिया। - करीब एक घंटे बाद उसने बॉक्स में सीमेंट का घोल भर दिया। फिर उसे एक सीमेंट के चबूतरे में दफन कर दिया। - बॉक्स में कंक्रीट भरने और चबूतरा बनाने में आरोपी उदयन ने कुल 14 बोरी सीमेंट का इस्तेमाल किया था। - उदयन ने बताया कि शव काे बॉक्स में दफनाने का आइडिया इंग्लिश चैनल पर "वॉकिंग डेथ" सीरियल से मिला था। इसमें उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी। - हत्या के बाद वह चबूतरे पर ही गद्दा बिछाकर सो जाता था। चबूतरे पर परफ्यूम भी छिड़कता था। गुरुवार को हुआ था खुलासा - सब इंस्पेक्टर सतेन्द्र सिंह कुशवाह ने बताया, "गुरुवार को जब हम उदयन के घर पहुंचे तो वहां बाहर से ताला लगा था।" - "मैं दूसरे छज्जे से चढ़कर दरवाजे पर पहुंचा। माहौल देखकर कुछ अजीब-सा लग रहा था।" - "धीमे से आवाज लगाई। अंदर से थोड़ा-सा दरवाजा खुला। मैंने तुरंत एक लड़के को कॉलर पकड़कर बाहर खींच लिया। यह उदयन था।" - "उससे आकांक्षा के बारे में पूछा। पहले तो उसने जवाब नहीं दिया, लेकिन सख्ती से पूछा तो उसने कहा- हां, मैंने आकांक्षा को मार दिया। वह चबूतरे के नीचे है। - "मैंने उससे पूछा कि यह चबूतरे के ऊपर फंदा क्यों लगाया है। उसने कहा- मैं भी जान देना चाहता था।" - आकांक्षा की बॉडी सीमेंट में चिपकी हुई थी। सीमेंट के चलते चबूतरा इतना मजबूत हो गया था कि ड्रिल मशीन भी टूट गई थी। - उदयन के घर में इतनी गंदगी थी कि बदबू के कारण अंदर जाना मुश्किल था। - आकांक्षा का शव ममी जैसा था। दफनाने से पहले उसका चेहरा एक पॉलिथीन से ढका गया था। नशे का आदी है साइको किलर - भोपाल की साइकोलॉजिकल एनालिस्ट डॉ. प्रीति माथुर ने कहा, ''मैंने आकांक्षा जैसी अच्छे घर की पढ़ी-लिखी लड़की की मेंटल सिचुएशन का एनालिसिस किया। उसमें फाइनेंशियल इनसिक्योरिटी का भाव नहीं था। उदयन नशे का आदी था, बेरोजगार था, अकेला था। आकांक्षा को बातों ही बातों में अपने अकेलेपन के इमोशंस के चलते फंसाया होगा।'' - ''आकांक्षा को लगा होगा कि उसके इमोशनल सपोर्ट की उदयन को जरूरत है। वह उसे सुधार पाएगी। उसने उदयन को आर्थिक रूप से सपोर्ट भी किया। कई लड़कियां इमोशनल होकर ऐसी गलतियां करती हैं। उन्हें पता नहीं होता कि वे क्या कर रही है। जबकि उन्हें किसी भी अजनबी से नजदीकी बढ़ाने में बहुत सावधान होना चाहिए। अपनों के साथ जानकारी शेयर करना चाहिए।'' पर्दाफाश मगर उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं इतनी बड़ी वारदात के खुलासे के बावजूद उदयन के चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आई। पुलिस ने शुक्रवार को उसे अदालत में नकाब में पेश किया था। मजिस्ट्रेट के सामने पहुंचा तो नकाब हटाया गया। पुलिस से बातचीत में भी वह घबराया हुआ नजर नहीं आ रहा था।


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