अमेरिका की करीब 200 कंपनियां अपना विनिर्माण केंद्र आम चुनाव के बाद चीन से भारत ले जाना चाहती हैं| अमेरिका और भारत के संबंधों को मजबूत बनाने की पैरवी करने वाले स्वयंसेवी समूह यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम ने यह टिप्पणी की है| समूह ने कहा कि चीन की जगह कोई अन्य विकल्प तलाश कर रही कंपनियों के लिए भारत में शानदार अवसर उपलब्ध हैं|
समूह के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि कई कंपनियां उनसे बात कर रही हैं और पूछ रही हैं कि भारत में निवेश कर किस तरह से चीन का विकल्प तैयार किया जा सकता है| उन्होंने कहा कि समूह नयी सरकार को समूह सुधारों को तेज करने तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का सुझाव देगा| उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे लगता है कि यह संवेदनशील है| हम प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने तथा 12 से 18 महीने में इसे अधिक परामर्श योग्य बनाने का सुझाव देंगे|
उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि ई-कॉमर्स, डेटा का स्थानीय स्तर पर भंडारण आदि जैसे निर्णयों को अमेरिकी कंपनियां स्थानीय कारक न मानकर अंतरराष्ट्रीय कारक मान रही हैं| उनसे यह सवाल किया गया था कि निवेश आकर्षित करने के लिए नयी सरकार को क्या करना चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नयी सरकार को सुधार की गति तेज करनी चाहिए, निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए तथा अधिक पक्षों के साथ परामर्श पर जोर देना चाहिए| उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौते की भी पैरवी की|