अप्रैल में GST का नया रिकॉर्ड, 1,13,865 करोड़ रुपये का हुआ जीएसटी राजस्व संग्रह

रिपोर्ट: साभार

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अप्रैल महीने में 1.13 लाख करोड़ रुपये के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू होने के बाद अब तक का सबसे अधिक 1,13,865 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व संग्रह हुआ है जो अप्रैल 2018 में संग्रहित 1,03,459 करोड़ रुपये की तुलना में 10.05 प्रतिशत अधिक है।

इससे पहले मार्च 2019 में भी जीएसटी संग्रह 1.06 लाख करोड़ रुपये रहा था. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा है कि 30 अप्रैल तक मार्च महीने के लिए कुल 72.13 लाख संक्षिप्त बिक्री रिटर्न जीएसटीआर-बी दायर किये गए.

बयान में कहा गया है कि अप्रैल, 2019 में जीएसटी राजस्व 1,13,865 करोड़ रुपये रहा. इसमें केंद्रीय जीएसटी संग्रह 21,163 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 28,801 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी 54,733 करोड़ रुपये और उपकर संग्रह 9,168 करोड़ रुपये रहा. सरकार ने नियमित निबटान के तहत आईजीएसटी से 20,370 करोड़ रुपये का सीजीएसटी और 15,975 करोड़ रुपये का एसजीएसटी का निबटान किया.

इसके अलावा, केंद्र के पास अस्थायी आधार पर बचे 12,000 करोड़ रुपये के आईजीएसटी का 50:50 अनुपात में केंद्र और राज्यों के बीच निपटान किया गया. नियमित और अस्थायी आधार पर किये गए निपटान के बाद अप्रैल, 2019 में केंद्र और राज्य सरकारों को 47,533 करोड़ रुपये का सीजीएसटी राजस्व मिला, जबकि एसजीएसटी राजस्व 50,776 करोड़ रुपये रहा. वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सीजीएसटी से 6.10 लाख करोड़ रुपये और मुआवजा उपकर से 1.01 लाख करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान रखा है. आईजीएसटी शेष 50,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

वित्त वर्ष 2018-19 में सीजीएसटी संग्रह 4.25 लाख करोड़ रुपये और मुआवजा उपकर 97,000 करोड़ रुपये रहा. पिछले महीने माल एवं सेवा कर संग्रह 2018-19 के औसत मासिक जीएसटी संग्रह 98,114 करोड़ रुपये के मुकाबले 16.05 प्रतिशत ऊंचा रहा. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के भागीदार रजत मोहन ने कहा कि कर संग्रह में भारी बढ़ोतरी कई वजहों से रही मोहन ने कहा कि इनमें एक प्रमुख कारण कर अनुपालन को मजबूत करना है.

ई-वे बिल, रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए कराधान में बदलाव और सरकार द्वारा आम चुनाव से पहले खर्च बढ़ाने से कर संग्रह बढ़ा है. ईवाई इंडिया के भागीदार अभिषेक जैन ने कहा कि इस वृद्धि की एक वजह साल के अंत में किया जाने वाला समायोजन भी है. डेलायट इंडिया के भागीदार एम एस मणि ने कहा कि कर प्राप्ति में यदि यही रुझान बना रहा तो 2019- 20 के लिए रखे गये कर प्राप्ति के लक्ष्य को बिना कोई अतिरिक्त उपाय के ही हासिल कर लिया जायेगा.

 


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