वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

  • महिलाओं, किसान, ग्रामीण भारत के लिए बड़े ऐलान
  • 3 करोड़ छोटे दुकानदारों को पेंशन देने का ऐलान
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ देगी सरकार
  • 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश कराने पर सरकार का जोर
  • टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया। निर्मला सीतारमण का यह पहला बजट है। 49 साल बाद किसी महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया। निर्मला से पहले 1970 में इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट भारतीय शेयर बाजार को पसंद नही आया है. शेयर बाजार की 40 हजार के स्‍तर पर शुरुआत हुई लेकिन बजट के बाद बाजार ने बढ़त गंवा दी और कारोबार के अंत में दिन के निचले स्तरों पर बंद हुआ. सेंसेक्स 394.67 अंक की गिरावट के साथ 39513.39 के स्तर पर रहा. वहीं निफ्टी 135.60 अंक की कमजोरी के साथ 11,811.15 के स्तर पर बंद हुआ.

बजट पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी है. मोदी सरकार ने इसे आम लोगों का और विकास का बजट करार दिया है. वहीं, कांग्रेस ने इस बजट को नई बोतल में पुरानी शराब की तरह बताया है. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बजट में कुछ भी नया नहीं है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा कि 2019 के इस आम बजट में पुराने वादों को ही दोहराया गया है. इसमें कुछ भी नया नहीं है. मोदी सरकार न्यू इंडिया की बात करती है, लेकिन ये बजट नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है. इस बजट में युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं है. कोई नया कदम नहीं उठाया गया है.

कांग्रेस ने ट्वीट कर इस बजट पर कई सवाल उठाए. कहा कि आखिरकार सरकार ने मान ही लिया कि आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. मोदी सरकार के इस बजट में नौकरी के सृजन के उपाय नहीं किए गए. देश ऐसे ही नोटबंदी और जीएसटी की मार को झेल रहा है. आने वाले दिनों में इसका बड़ा व्यापाक असर देखने को मिलेगा.

बजट भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मजबूत देश के लिए मजबूत नागरिक है। 45 लाख तक का घर खरीदने पर होम लोन पर 1.50 लाख का अतिरिक्त ब्याज कर मुक्त रखा गया है, यानी 3.50 लाख तक ब्याज के भुगतान पर टैक्स में छूट मिलेगी| वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में हमने जो मेगा प्रोजेक्ट्स शुरू किए थे, उन्हें अब आगे बढ़ाने का वक्त है। चाणक्य नीति में कहा गया है कि दृढ़ संकल्प हो तो उद्देश्य पूरा होता है। उर्दू में एक शेर है- ‘‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चराग जलता है।’’ 

हमारी अर्थव्यवस्था पांच वर्ष में 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची है। हमारा मकसद है- मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस। 5 ट्रिलियन इकोनॉमी हासिल करने के लिए हमारे कुछ उद्देश्य हैं। इस वित्त वर्ष में हमने 3 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा है। हम दुनिया की 6ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमने कई ढांचागत सुधार किए हैं और अभी कई और सुधार करने हैं।’’ पांच साल में अर्थव्यवस्था में एक ट्रिलियन डॉलर जोड़े हैं। हमने 10 लक्ष्य निर्धारित किए हैं। पहला लक्ष्य भौतिक संरचना का विकास। दूसरा- डिजिटल इंडिया को अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र तक पहुंचाना। तीसरा- हरित मातृभूमि और प्रदूषण मुक्त भारत। चौथा- एमएसएमई, स्टार्टअप, डिफेंस, ऑटो और हेल्थ सेक्टर पर जोर। पांचवां- जल प्रबंधन और स्वच्छ नदियां। छठा- ब्लू इकोनॉमी। सातवां- गगनयान और चंद्रयान मिशन। आठवां- खाद्यान्न। नौवां- स्वस्थ समाज, आयुष्मान भारत और सुपोषित महिलाएं-बच्चे। 10वां- जनभागीदारी, न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन।’’

सीतारमण की माने तो भारत को हर साल 20 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है। एविएशन, मीडिया एनिमेशन और इंश्योरेन्स में एफडीआई आना चाहिए। इंश्योरेन्स इंटरमीडिएटरीज के क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति मिलेगी। 2018 से 2030 के बीच रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में 50 लाख करोड़ निवेश की जरूरत है। पीपीपी मॉडल का इस्तेमाल त्वरित विकास और यात्री भाड़े से जुड़ी सेवाओं के विकास में किया जाएगा। मार्च 2019 में देश में ट्रांसपोर्ट के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड लॉन्च किया गया। यह देश का पहला स्वदेशी पेमेंट सिस्टम है। इसके जरिए लोग कई तरह के ट्रांसपोर्ट चार्ज का पेमेंट कर सकते हैं।

फ्रेश या इन्क्रिमेंटल लोन पर सभी जीएसटी रजिस्टर्ड एमएसएमई को 2% अनुदान के लिए 350 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। 1.5 करोड़ के टर्नओवर वाले खुदरा दुकानदारों को प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन योजना के तहत पेंशन दी जाएगी। इसके तहत 3 करोड़ अतिरिक्त दुकानदारों को पेंशन का लाभ मिलेगा। मैं सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का प्रस्ताव रखती हूं ताकि सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में काम कर रहे उद्यम और संगठन पूंजी इकट्ठा कर सकें। यह स्टॉक एक्सचेंज सेबी के तहत काम करेगा।’’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘गांधीजी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में रहती है। हमारे सभी प्रयासों के मूल में अंत्योदय का भाव है। हमने गांव-गरीब-किसान को हमारी योजनाओं के केंद्र में रखा है। जो इच्छुक नहीं हैं, उन्हें छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र के हर एक परिवार को बिजली मिलेगी। 2022 तक हमने सभी के लिए आवास का लक्ष्य रखा है। 2019-20 से 2022 तक 1.95 करोड़ मकानों का निर्माण किया जाएगा। प्रति मकान निर्माण का लक्ष्य 314 की जगह 114 दिन किया गया है। 97% लोगों को हर मौसम में सड़क मिलेगी। अगले 5 साल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1.25 लाख किमी सड़कों निर्माण होगा। इस पर 80250 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

सीतारमण ने कहा, ‘‘जनधन बैंक खाता रखने वाली महिलाओं को 5000 रु. के ओवर ड्राफ्ट की सुविधा मिलेगी। आईबीसी और दूसरे प्रयासों से 4 लाख करोड़ रुपए की रिकॉर्ड रिकवरी हुई। कमर्शियल बैंकों में एनपीए एक लाख करोड़ से ज्यादा घटा है। पिछले 4 साल के दौरान 4 लाख करोड़ की रिकवरी हुई। डोमेस्टिक क्रेडिट ग्रोथ 13.8% तक बढ़ी है। 70 हजार करोड़ रु दिए जाएंगे, ताकि पब्लिक सेक्टर बैंकों की कैपिटल बढ़ सके। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए जाएंगे। सेल्फ हेल्प ग्रुप में काम करने वाली किसी एक महिला को मुद्रा स्कीम के तहत 1 लाख रुपए का कर्ज मिल सकेगा।’’

कमर्शियल बैंकों में एनपीए एक लाख करोड़ से ज्यादा घटा है। डोमेस्टिक क्रेडिट ग्रोथ 13.8% तक बढ़ी है। 70 हजार करोड़ रु दिए जाएंगे ताकि पब्लिक सेक्टर बैंकों की कैपिटल बढ़ सके। 100 लाख करोड़ का निवेश बुनियादी सुविधाओं के लिए अगले 5 साल में किया जाएगा। एक दो, पांच, दस, और बीस रुपए के नए सिक्के जारी किए गए। बहुत जल्द ये लोगों के लिए उपलब्ध होंगे। देश के हर करदाता जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए धन्यवाद। जीडीपी के मुकाबले विदेशी कर्ज 5% से नीचे है, यह दुनिया में सबसे कम है।

सीतारमण ने बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इससे पहले सीतारमण परंपरा तोड़ते हुए ब्रीफकेस की जगह एक फोल्डर में बजट लेकर निकलीं। अब तक वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में ही बजट लेकर संसद पहुंचते थे। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने फोल्डर में बजट ले जाने पर कहा कि यह भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी मानसिकता की गुलामी से बाहर आने का प्रतीक है। इसे आप बजट नहीं बल्कि बही खाता कह सकते हैं। 


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