19.4 करोड़ की आबादी वाले मुस्लिम समुदाय का अल्पसंख्य दर्जा खत्म करे केंद्र : ललन यादव

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : देश भर में CAA, NRC और NPR को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन, हिंसक झड़प और आगजनी के बीच यह सवाल एक बार फिर उठने लगा है कि भारत में अल्पसंख्यक कौन? असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने CAA, NRC और NPR को देशहित में बताते हुए मुस्लिम समुदाय के अल्पसंख्य का दर्जा खत्म करने की मांग की है| उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के बाद भारत दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है| 2011 के जनगणना के मुताबिक देश में मुसलमानों की कुल जनसंख्या 17 करोड़ 22 लाख है, जो कि कुल आबादी का 14.2 प्रतिशत है जबकि 2001 की जनगणना में मुसलमानों की आबादी 13.4 प्रतिशत थी| उन्होंने कहा कि किया कारण है कि 2001 से 2011 के बीच हिन्दुओं की आबादी में कमी आई है जबकि मुसलमानों की आबादी में आनुपातिक तौर पर 8 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है| 2001 में 80.5 प्रतिशत हिन्दुओं की जनसंख्या थी जो 10 साल के बाद घटकर कुल जनसंख्या का 79.8 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है| ललन यादव ने कहा कि हिन्दुस्तान में मुसलामानों की अपेक्षा हिन्दुओं की आबादी में गिरावट दर्ज होना चिंता का विषय है| प्यू रिसर्च के मुताबिक 2060 तक यह फर्क घटकर विश्व में 3 अरब ईसाई और करीब 3 अरब ही मुस्लिम आबादी होगी।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक़ इंडोनेशिया में 22 करोड़ मुसलमान रहते हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर भारत (19.4 करोड़) और तीसरे स्थान पर पाकिस्तान (18.4 करोड़) जबकि चौथे स्थान पर बांग्लादेश और पांचवें स्थान पर नाइजीरिया है। वर्तमान में पूरी दुनिया में ईसाई आबादी 2.3 अरब है और मुस्लिम आबादी 1.8 अरब है।

श्री यादव ने अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि चालीस साल बाद 33 करोड़ आबादी के साथ भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा जहां विश्व की 11 फीसद मुस्लिम जनसंख्या होगी| वहीं पाकिस्तान 28.36 करोड़ मुस्लिम आबादी के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। 2060 तक पाकिस्तान की कुल आबादी में 96.5 फीसद आबादी मुस्लिम होगी, जबकि दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी में पाकिस्तान का योगदान 9.5 फीसद होगा। उन्होंने कहा कि राजनेताओं के बहकावे में आकर जो हिन्दू आज CAA, NRC और NPR पर हंगामा मचा रहे हैं, उन्हें अपनी आनेवाली पीढ़ी के विषय में भी गंभीरता से सोचना होगा| 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता में यह तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान अपने-अपने यहां के अल्पसंख्यकों का संरक्षण करेंगे| लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में ऐसा नहीं हुआ और वहां धर्म के आधार पर लाखों-करोड़ों अल्पसंख्यक शरणार्थियों को प्रताड़ित होना पड़ा| ऐसी स्थिति में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनको नागरिकता देने की पहल करते हुए नागरिकता संशोधन कानून बनाया है तो इसमें विरोध प्रदर्शन या हिंसा करने का कोई औचित्य नहीं है|

 


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