सभी बेरोजगारों को 5-5 हजार रूपये की आर्थिक मदद मुहैया कराए नीतीश सरकार : एडीपी

रिपोर्ट: सुशांत पाठक

पटना : असली देशी पार्टी ने बिहार के सभी बेरोजगारों को पांच-पांच हजार रूपये की आर्थिक मदद तत्काल मुहैया कराने की नीतीश सरकार से मांग की है| एडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण बिहार का अधिकांश मजदूर, किसान, बेरोजगार नौजवान भूखमरी के शिकार हैं| मार्च महीने से लॉकडाउन के कारण रोजमर्रा की कमाई से अपने परिवार का भरण-पोषण करनेवाले मजदूरों के परिजन भूखे पेट जीवन गुजारने को विवश हैं| फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण हुई फसल क्षति से बिहार के मजदूर किसानों का बुरा हाल है| उन्होंने कहा कि मार्च महीने से जारी लॉकडाउन ने बिहार की गरीब जनता की कमर तोड़ दी है| ऐसी परिस्थिति में बिहार के मुखिया नीतीश कुमार में अगर थोड़ी सी भी संवेदनशीलता है तो गरीब बेरोजगार परिवारों को तत्काल पांच-पांच हजार रुपया सहायता के तौर पर देने की घोषणा करें ताकि उनके बच्चों को दो जून की रोटी नसीब हो सके|

श्री यादव ने कहा कि 15 वर्षों के लालू-राबड़ी राज के कुशासन का हवाला एवं न्याय के साथ विकास का नारा देकर नीतीश कुमार वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री के रूप में बिहार की सत्ता पर काबिज हुए| न्याय के साथ विकास का नारा सरकारी फाइलों और घोषणाओं में सिमटकर रह गया| नतीजतन गरीब और अधिक गरीब होते चला गया जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि पेट की आग बूझाने के लिए लोगों को दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ा| ललन यादव ने कहा कि 15 वर्षों तक नये-नये नारे गढ़कर गरीब जनता को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाते रहें| तथाकथित नीतीश कुमार के डेढ़ दशक के सुशासन राज में भी बिहार की जनता के जेहन में एक बार फिर वही सवाल कौंधने लगा है| लोग खूद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं|

सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए एडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कई सवाल खड़े किये हैं| उन्होंने पूछा है की आखिर क्या कारण रहा कि 15 वर्ष के सुशासन राज में भी नीतीश कुमार गरीबों को न्याय दिलाने में नाकाम रहें? पेट की भूख मिटाने के लिए आज भी बिहार के लोगों को पलायन का दंश क्यों झेलना पड़ रहा है? किसानों की दयनीय हालत के लिए कौन जिम्मेवार है? कोरोना के इस संकट काल में भी सरकारी योजनाओं में लूट किसके इशारे पर मचा हुआ है? जल-जीवन-हरियाली योजना अंतर्गत कागजों की बजाय धरातल पर कितना काम हुआ या हो रहा है? कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक क्यों नहीं पहुँच रहा है? सात निश्चय योजना का लाभ कितने घरों तक पहुँच सका है? पंचायती राज विभाग द्वारा कितने परिवारों को निःशुल्क मास्क और साबुन उपलब्ध कराया गया? ऐसे कई अनगिनत सवाल हैं जिसका जबाब इस बार चुनाव में नीतीश कुमार और सत्ताधारी पार्टियों को देना पड़ेगा| जनता खामोश है लेकिन मतदाताओं के अंतर्मन में खलबली है| बिहार में पुनः परिवर्तन की बयार जोरो पर है और सियासत करवट लेने को बेचैन है|


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