भारत के साथ 1965 के युद्ध की वर्षगांठ के मौके पर पाकिस्तान छह सितम्बर के दिन को रक्षा दिवस के रूप में मनाता है| इस मौके पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति और नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरूवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान निकाला जाना जरूरी है| दोनों नेताओं ने कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालना अनिवार्य है| उन्होंने समानता के आधार पर अन्य देशों के साथ पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी इच्छा व्यक्त की|
इमरान खान रावलपिंडी स्थित मुख्यालय में आयोजित डिफेंस एंड मार्ट्स डे सेरमनी के दौरान बोल रहे थे। इसमें सांसद, राजनयिक, खिलाड़ी, कलाकार और अन्य हस्तियां मौजूद थीं। आतंकवाद पर लड़ाई के चलते बर्बादी और पीड़ा पर बोलते हुए खान ने कहा- “मैं शुरुआत से ही युद्ध के खिलाफ रहा हूं।” उन्होंने कहा- “हम किसी अन्य देश की लड़ाई का हिस्सा नहीं बनेंगे। हमारी विदेश नीति राष्ट्र हित में होगी।” हालांकि, खान ने आंतकवाद के खिलाफ जोरदार मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी सेना की तारीफ की। उन्होंने कहा- “पाकिस्तान सेना की तरह बाकी कोई भी देश आतंकवाद के खिलाफ ऐसी लड़ाई नहीं लड़ी।” सभी खतरों से निपटने में देश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसी की योगदान बेहतर रहा है। पाकिस्तान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है और अपने पड़ोसियों तथा पूरे विश्व के साथ समानता के आधार पर पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है|
निवर्तमान राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान के लोगों ने जबरदस्त राष्ट्रीय एकता का नजारा पेश किया और वे दुश्मन के नापाक मंसूबों को विफल करने के लिए अपने सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहे| रेडियो पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मौके पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अपने अलग-अलग संदेशों में जोर दिया कि क्षेत्र में शांति के माहौल के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत कश्मीर मुद्दे का समाधान निकाला जाना आवश्यक है| इमरान खान ने अपने संदेश में आतंकवाद को नेस्तानाबूद करने में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के साहस की प्रशंसा करते हुए कहा,‘इसमें कोई शक नहीं है कि उनके प्रयास राष्ट्रीय विकास, लोकतंत्र को मजबूत करने और दुनिया में शांति स्थपित करने के लिए हैं जो कि प्रशंसनीय है| ’ उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद के तार्किक अंत तक इसके खिलाफ लड़ाई में संघर्ष को जारी रखेगी|