SC ने ऑटोमोबाइल डीलर्स की याचिका खारिज कर 1 अप्रैल से बीएस-6 वाहनों को किया अनिवार्य

रिपोर्ट: शिलनिधि

सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर कहा है कि 31 मार्च के बाद से BS4 वाहन नहीं बिकेंगे. गौरतलब है कि  साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने BS4 वाहन की बिक्री पर रोक लगा दी थी जिसके बाद ऑटोमोबाइल डीलर्स ने एक याचिका दायर कर 30 अप्रैल तक का समय मांगा था ताकि स्‍टॉक में रखे वाहनों को  गये BS4 वाहन का बिक्री किया जा सके|वाहनों को बेचा जा सके. ऑटोमोबाइल डीलर्स के इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए राहत देने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आगामी 1 अप्रैल से बीएस-6 को अनिवार्य कर दिया गया है. इस मानक की गाड़ी से प्रदूषण बेहद कम होने की उम्‍मीद है. इसी को ध्‍यान में रखकर अब ऑटो कंपनियां बीएस-6 वाहन लॉन्‍च कर रही हैं.

बीएस का तात्पर्य भारत स्टेज से है. यह एक मानक है जिससे भारत में गाड़ियों के इंजन से फैलने वाले प्रदूषण को मापा जाता है. बीएस के आगे नंबर के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के लिए सही हैं. उल्लेखनीय है कि अभी देश की वाहन कंपनियां बीएस-4 के फ्यूल मानक के हिसाब से वाहन बना रही हैं. लेकिन एक अप्रैल 2020 से जो भी नए वाहन बाजार में आएंगे, उनके लिए बीएस-6 के मानक को पूरा करना जरूरी होगा. हालांकि कुछ कंपनियां इससे पहले भी अपने वाहन इसी मानक के अनुसार बाजार में उतार सकती हैं.

बीएस-6  वाहन से  हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी साथ ही हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे जिससे सांस लेने में सुविधा होगी| बीएस 4 के मुकाबले बीएस-6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे| नाइट्रोजन डाइऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड,सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस 6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा| बीएस -4 और बीएस-3 फ्यूल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम होती है...जो बीएस 6 मानकों में घटकर 10 पीपीएम रह जायेगा यानि की अभी के स्तर से 80 फीसदी कम| बता दें कि बीएस-4 नियम अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हुआ था. साल 2016 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि देश में बीएस-5 नियमों को अपनाए बगैर ही 2020 तक बीएस-6 नियमों को लागू कर दिया जाएगा.

 

 


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