कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं राहुल

रिपोर्ट: साभारः

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद पर प्रोन्नत किया जा सकता है। मंगलवार को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की प्रबल संभावना है। मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ सड़क पर उतरने को तैयार राहुल को इस फैसले के जरिये और ताकत व कार्यकर्ताओं को संकेत देने की कोशिश है। मंगलवार को होने वाली कार्यसमिति की बैठक में सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्यों को भी बुलाया गया है। वैसे तो कार्यसमिति का एजेंडा वर्तमान राजनीतिक हालात हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि असली एजेंडा राहुल गांधी को और मजबूत करने का है। दरअसल, पार्टी नेतृत्व में स्पष्टता न होने के कारण पार्टी लगातार अलग-अलग सुर में बोलती दिख रही है। इतना ही नहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष के खिलाफ कई धड़े लामबंद हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में परास्त कांग्रेस को लगातार चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा है। अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उसकी हालत पस्त है। दिल्ली में जीते कोई भी, लेकिन हार कांग्रेस की तय मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ विरोध के सुर और तेज होंगे। सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले ही पार्टी में उनके खिलाफ बगावत के सुरों को दबाने के लिए टीम राहुल उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने के सुर बुलंद कर चुकी है। कांग्रेस महासचिव व राहुल के करीबी दिग्विजय सिंह पहले ही राहुल लाओ का झंडा बुलंद कर चुके हैं। पिछली बार भी राहुल के उपाध्यक्ष बनने से पहले औपचारिक तौर पर दिग्विजय ने ही यह राग छेड़ा था। इतना ही नहीं, राहुल के थिंकटैंक के प्रमुख सदस्य ने भी साफ कहा,'हर इंतजार का एक वक्त होता है। राहुल की ताजपोशी के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।' अब महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने भी औपचारिक तौर पर इस फैसले की तरफ इशारा किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में राहुल गांधी निर्विवाद रूप से नंबर दो नेता हैं। जहां तक उनके अध्यक्ष बनने के बात है तो पार्टी में चुनाव लंबित है। वैसे कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि टीम राहुल ने उपाध्यक्ष की प्रोन्नति को हवा इसलिए भी दे रखी है, ताकि उनके नेतृत्व के सवाल को हमेशा के लिए खत्म कर दिए जाएं।कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कांग्रेस की गिरती साख के बीच राहुल राज लाने के लिए अनुशासन के जरिये महौल बनाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी में उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दबदबा बढ़ाने के लिए कांग्रेस में अघोषित रूप से अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने की तैयार है। वही पार्टी में राहुल के नए प्रयोगों को पिछले दरवाजे से लाए जाने पर काम चल रहा है। पार्टी जल्द ही तिमाही बैठके आयोजित करेगी। इन बैठकों में प्रदेश के नेताओं के साथ ही पार्टी के सभी महासचिवों के कार्यो की भी समीक्षा होगी। कांग्रेस पार्टी की कोशिश जवाबदेही के जरिये पार्टी में अनुशासन का संदेश देने की है। हालांकि, जवाबदेही के इस नियम से पार्टी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को दूर रखा गया है। जबकि, अनुशासन के जरिये नेतृत्व की ओर उठने वाले सवालों को पार्टी से निकालने वाला कृत्य करार दिया है। कांग्रेस में पहली बार है जब पार्टी में नई जान भरने के लिए राज्यों को भेजे गए 12 पन्नों के दस्तावेज में अनुशासन को लेकर इस प्रकार के निर्देश दिए गए हैं। पार्टी की तिमाही बैठकों में इसके अलावा इन बैठकों में पार्टी के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सहित सभी विभागों व अनुसांगिक संगठनों के प्रमुख भी हिस्सा लेंगे। पार्टी की मंशा लिए जाने रहे निर्णयों में पार्टी के सभी अंगों के राजनीतिक नेतृत्व को स्थान देने की है। हालांकि, इसे पार्टी उपाध्यक्ष को मजबूती देने वाले निर्णय के रूप देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक राहुल के प्रयोगों से पार्टी को हो रहे नुकसान के मद्देनजर पार्टी बैठकों में उनके निर्णयों पर पहले जैसा सहयोग नही रहा है। ऐसे में 'टीम राहुल' की मंशा इन बैठकों में किसी भी दशा में उपाध्यक्ष के पक्ष में खड़े रहने वाले लोगों को लाने की है।


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