वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की उम्र में निधन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्त की  शोक संवेदना 

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

 पटना 23 अगस्त  :  मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। अपने शोक संदेश में नीतीश कुमार ने कहा है कि कुलदीप नैयर जिंदगी के आखिरी समय तक लेखनी और पत्रकारिता से जुड़े रहे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। 1997 में बेहतर लेखनी के लिए उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ लेख लिखने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनके निधन से न केवल साहित्यजगत में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी अपूरणीय क्षति हुई है। दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को मुख्यमंत्री ने दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। 

गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का बुधवार की रात को नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे| दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय रहते हुए उन्होंने कई किताबें भी लिखी|  नैयर का जन्म 14 अगस्त, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था| अपने करियर की शुरुआत बतौर उर्दू प्रेस रिपोर्टर के रूप में करनेवाले कुलदीप नैयर दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन के संपादक भी रह चुके थे| पत्रकारिता के अलावा बतौर एक्टिविस्ट कार्यरत रहे कुलदीप नैयर को आपातकाल के दौरान गिरफ्तार भी किया गया था|

नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे| 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था| इतना ही नहीं कुलदीप नैयर डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, प्रभासाक्षी सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऑप-एड लिखते हैं|

कुलदीप नैयर ने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं. सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं|

 


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