कोविड-19 से हुई मौत का सही आंकड़ा जानना लोगों का मौलिक अधिकार : PHC

रिपोर्ट: सिद्धार्थ मिश्रा

पटना : बिहार में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों की हुई मौत का सही आंकड़ा अब तक लोगों के सामने नहीं आ पाया है. पटना उच्च न्यायालय ने इस संबंध में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार से कहा है कि प्रदेश में कोरोना से कितने लोगों की मौत हुई है यह जानना लोगों का मौलिक अधिकार है| सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने कहा कि सूबे में कोरोना की दूसरी लहर से हुई मौत के सही आंकड़ों की जानकारी हेतु एक डिजिटल पोर्टल की जरूरत है जिसके माध्यम से आम लोगों को प्रतिदिन होनेवाले जन्म मृत्यु के मामले की सही जानकारी मिल सके.

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार ने शिवानी कौशिक व अन्य जनहित मामलों में 28 पन्नों के आदेश से यह तय किया कि कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को जानना लोगों का मौलिक अधिकार है. लोगों को जन्म-मृत्यु के सटीक आंकड़े देना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. इसलिए हाईकोर्ट ने सूबे में तमाम जन्म-मृत्यु के पोर्टल्स को अपडेट कर आम जनता के लिए खोलने हेतु राज्य सरकार को दस सूत्री निर्देश भी दिया है. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि राज्य के मुख्य सचिव या विकास आयुक्त फौरन उच्चस्तरीय बैठक कर शुक्रवार के इस आदेश को राज्य में अनुपालन कराने के लिए सुनिश्चित कराने का प्रयास करें| कोर्ट ने यह टिपण्णी की है कि पिछले एक साल में कितने लोगों की कोरोना से मौत हुई है| बिहार की 10 करोड़ जनता को यह जानने का अधिकार नहीं है| राज्य सरकार की यह ड्यूटी बनती है कि हर मौत की जानकारी वह लोगों को दें|

 

 


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