चुनाव करीब आते ही बिहार में गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे है नेता : ललन यादव

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव करीब आता देख सत्ता सुख पाने के लिए बेचैन राजनेता गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे हैं| असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने यह आरोप लगाते हुए कहा है कि बिहार में चुनावी आहट होते ही मौकापरस्त नेताओं का कुनबा एक बार फिर जनता को गुमराह करने की कोशिश में एकजुट होने लगा है| उन्होंने कहा कि बिहार में कई ऐसे नेता हैं जो हर हथकंडा अपनाकर सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक नीचे जा सकते हैं| परिस्थिति के अनुकूल चाल, चरित्र और चेहरे बदलनेवाले ऐसे नेताओं की न कोई नीति है और न ही विचारधारा| हर सूरतेहाल में सत्ता तक पहुंचना इनका लक्ष्य रहता है|

श्री यादव ने कहा कि बिहार के गरीब, दलित और विकास की मुख्यधारा से वंचित परिवारों को अधिकार एवं न्याय दिलाने की वकालत कर गिरगिटरूपी ये राजनेता सत्ता हासिल कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाते रहे हैं| जबकि गरीब परिवारों की स्थिति आज भी ज्यो की त्यो दयनीय है| उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं की बदनीयती से बिहार की जनता अब पूरी तरह अवगत हो चुकी है जिसका नमूना अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में देखने को मिला| ललन यादव ने कहा कि बिहार की जनता जागरूक हो चुकी है| अब यहां गुमराह करनेवाली नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ विकास की राजनीति चलेगी| उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में जनता से मिले सबक के बाद सियासी दूकान बंद होने की आशंका से बेचैन चुनावी पहलवानों की टोली पुनः एकजुट होने की तयारी में है| ऐसे मौकापरस्त नेताओं को 2020 में होनेवाले बिहार विधानसभा के चुनावी दंगल में जनता पटखनी देने की पहले से ही तैयारी कर रखी है|

गौरतलब है कि 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासी समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं| गौरतलब है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद ‘हम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और ‘जाप’ के संरक्षक व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने NDA और महागठबंधन को मात देने के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं| माना जा रहा है कि लोजपा से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी (सेकुलर) नाम से पार्टी बनाने वाले सत्यानंद शर्मा भी इस तीसरे मोर्चे में शामिल हो सकते हैं| पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और सत्यानन्द शर्मा से पप्पू यादव के मुलाक़ात के बाद तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर सरगर्मी तेज हुई है| सूत्रों की माने तो चुनावी लाभ लेने के लिए नए सियासी समीकरण तलाश रहे राजनेता और राजनैतिक पार्टियों के अलावे आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू से नाखुश चल रहे नेता भी इस तीसरे मोर्चे का हिस्सा हो सकते हैं|


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