पटना : दधीचि देहदान समिति के जागरूकता अभियान के फलस्वरूप पटना की 72 वर्षीय विमला देवी पोद्दार का आज देहावसान हो गयाI लेकिन अपने नेक एवं पुनीत कार्य के कारण वह मर कर भी अमर हो गई| विमला देवी पोद्दार ने स्वेच्छा से मरणोपरांत अपना नेत्रदान करने की इच्छा प्रकट की थी| देहांत के उपरांत स्वर्गीय विमला देवी पोद्दार के पुत्र मयूर पोद्दार एवं परिजनों ने दधीची देहदान समिति के वरीय सदस्य मुकेश हिसारिया के माध्यम से इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के नेत्र अधिकोष की टीम को स्वर्गीय विमला देवी पोद्दार का नेत्र सौपकर पीड़ित मानवता की सेवा करने का काम किया है|
स्वर्गीय विमला देवी पोद्दार ने समाज को एक ऐसा संदेश दिया है जो आने वाली पीढ़ि के लिए प्रेरक होगा। उनकी आंखों से 2-3 नेत्रहीनों को दृष्टि मिल सकेगी। मृत्यु निश्चित है, परन्तु मृत्यु के पश्चात भी अमर हानें का श्रेष्ट तरीका है-नेत्रदान। इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा के निर्देश पर डॉ अंजुला एवं डॉ मारुति नंदन ने कॉर्निया लेने की प्रक्रिया को पूरा किया। दधीचि देहदान समिति बिहार दिवंगत आत्मा की सदगति के लिए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।
दधीचि देहदान समिति के महामंत्री पद्मश्री विमल जैन ने जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया है कि मृत्यु को जीवन का अंत न बनाएँ, संकल्प लेकर नेत्रदान/अंगदान/देहदान करने का संकल्प ले और महर्षि दधीचि की इस परपंरा को अपनाकर पीड़ित मानवता की सेवा में अपना योगदान दे।