साहित्यक संस्था लेख्य - मंजूषा द्वारा पद्य कार्यशाला का आयोजन

रिपोर्ट: किरण पाण्डेय

पटना : हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर साहित्यक संस्था लेख्य - मंजूषा के तरफ से पद्य कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सभी सदस्यों ने अपनी प्रतिनिधित्व मुक्तक का पाठ किया। बाकी तीन मुक्तकों को निर्णायकों को निर्णय के लिए दिया गया। निर्णायक मण्डली में वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सतीशराज पुष्करणा, वरिष्ठ कवि घनश्याम जी थें।

मुक्तक विद्या पर रोशनी डालते पहली और दूसरी में तुकांत हो  तीसरी पंक्ति अक्तूकान्त, एवं चौथी पंक्ति तुकांत में रहना चाहिए। और सभी पंक्तियाँ लयबद्ध होना चाहिए, जिसे गायन कला में सुविधाजनक होना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने कहा कि हिंदी की उपेक्षा हिंदी भाषा के लोग ही करते हैं। लेख्य - मंजूषा जैसी संस्था हिंदी को जीवित और सर्वसुलभ बनाने के लिए प्रयासरत हैं। 

वहीं इस मौके पर उपस्थित वरिष्ठ कवि घनश्याम जी ने कहा कि आज सोशल मीडिया के कारण हिंदी दुबारा अपने परचम पर है। लेकिन इसके दुष्परिणाम काफी अधिक हैं। इस दुष्प्रभाव को सिर्फ साहित्यिक गोष्ठियों में ही जा कर बचा जा सकता है।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया। मंच संचालन संस्था की उपाध्यक्ष संगीता गोविल जी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यकारी अध्यक्ष रंजना जी ने किया।


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