साइकिल मुलायम की होगी या अखिलेश की? पार्टी सिंबल पर इलेक्शन कमीशन आज सुना सकता है फैसला

रिपोर्ट: ramesh pandey

लखनऊ/नई दिल्लीइ. समाजवादी पार्टी में सिंबल को लेकर जारी विवाद पर इलेक्शन कमीशन (ईसी) शुक्रवार को फैसला सुना सकता है। दोपहर 12:30 बजे कमीशन अखिलेश और मुलायम खेमों के दावों पर सुनवाई करेगा। मुलायम ईसी ऑफिस पहुंच चुके हैं। बता दें, दोनों ने खुद को असली समाजवादी पार्टी बताते हुए साइकिल सिंबल पर अपनी दावेदारी की थी। इसके बाद ईसी ने इस मसले पर 13 जनवरी को सुनवाई करने की बात कही थी। दोनों गुटों ने कानूनी राय ली... - गुरुवार को दोनों गुट ने अपनी-अपनी स्ट्रैरटजी पर काम करने के लिए कानूनी राय ली। - अखिलेश गुट की ओर से इसकी जिम्मेादारी रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल ने संभाली। - वहीं, मुलायम गुट की ओर से इसकी जिम्मेदारी अमर सिंह और शिवपाल सिंह यादव ने उठाई। - ऐसा कहा जा रहा है कि गुरुवार को अखिलेश और मुलायम सिंह के बीच फिर से बात हुई थी। लेकिन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। # अखिलेश अपना सकते हैं मोटरसाइकिल सिंबल - सूत्रों की मानें तो अगर अखिलेश को 'साइकिल' नहीं मिलती है तो वे मोटरसाइकिल को सिंबल के तौर पर अपना सकते हैं। - रामगोपाल ने चुनाव आयोग को बताया, "अखिलेश यादव को 90% एमएलए का सपोर्ट हासिल है। वे ही पार्टी को लीड कर रहे हैं। लिहाजा, इस धड़े को ही सपा मान जाना चाहिए।" # क्या फ्रीज हो जाएगी 'साइकिल' - इसको देखते हुए आयोग पार्टी के सिंबल को फ्रीज कर सकता है और दोनों धड़ों को एक ही नाम से टेम्पररी चुनाव चिह्न दे दिया जा सकता है। - 1979 में Congress (I) और Congress (U) जैसे दो गुटों और 1980 में बीजेपी और जनता पार्टी को चुनाव आयोग ने इंटरिम ऑर्डर के तहत मान्यता दी थी। लिहाजा, सपा के दोनों गुटों को मान्यता मिल सकती है। # ऐसे शुरू हुआ सिंबल विवाद -अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच विवाद अक्टूबर से शुरू हो गया था। लेकिन सिंबल को लेकर लड़ाई 1 जनवरी के बाद शुरू हुई। - पार्टी से बाहर किए गए रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्ट्री य अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए। पहला प्रस्तायव- अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्ट्रीेय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और पार्टी के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक फिर से गठन करें। इस प्रस्ताेव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी। दूसरा प्रस्ताेव- मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया। तीसरा प्रस्ताेव- शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया। - बता दें, शिवपाल और अमर सिंह को लेकर अखिलेश ने कई बार विरोध दर्ज कराया था। - इस अधिवेशन के बाद दोनों गुट खुलकर सामने आ गए। # 2 जनवरी को मुलायम, तो 3 को रामगोपाल ईसी पहुंचे थे - रामगोपाल के अधिवेशन के बाद 2 जनवरी को मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा के साथ दिल्लीम में पार्टी सिंबल पर दावेदारी को लेकर इलेक्शहन कमीशन (ईसी) पहुंच गए और साइकिल पर अपना हक जताया। - इसके बाद अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव 3 जनवरी को इलेक्शकन कमीशन पहुंचे और उन्हों ने साइकिल पर अपना दावा ठोका। # पार्टी सिंबल को लेकर लड़ाई क्यों? - दरअसल, अखिलेश और मुलायम ने यूपी चुनाव के मद्देनजर विधानसभा कैंडिडेट्स की अलग-अलग लिस्टऔ जारी की थी। - अब पार्टी के इस झगड़े में दोनों ही खेमे पार्टी के सिंबल (साइकिल) से चुनाव लड़ना चाहते हैं।


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