चेन्नई. आखिरी दिनों में जयललिता का इलाज करने वाले डॉक्टर रिचर्ड बेले ने कहा कि तमिलनाडु की सीएम की मौत सीरियस इन्फेक्शन के चलते हुई थी। बता दें कि जयललिता जब चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती थीं तो लंदन के डॉ. बेले की इलाज में मदद ली गई थी। सेप्सिस की वजह से ऑर्गन फेल हो गए थे... Advertisement - डॉ. बेले ने मीडिया के सामने कहा, "जयललिता का कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था, कोई चीर-फाड़ नहीं हुई थी। उनकी मौत सेप्सिस (ब्लड इन्फेक्शन) की वजह से हुई थी।" - "सीरियस इन्फेक्शन की वजह से उनके ऑर्गन फेल हो गए थे।" - "जयललिता को बेस्ट ट्रीटमेंट दिया गया, लेकिन डायबिटीज की वजह से दिक्कतें बढ़ गईं।" - जयललिता के डॉक्टर की ओर से आए इन बयानों ने उनकी मौत के पीछे साजिश की बातों को झुठला दिया है। - उधर, चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. बालाजी ने कहा, "इलेक्शन कमीशन के फॉर्म पर जब जयललिता ने अंगूठा लगाया था, तब वे होश में थीं। मैंने उनसे बात की थी।" शशिकला पुष्पा ने की थी सीबीआई जांच की मांग -बता दें कि जयललिता के मौत पर संदेह जताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की गई थी। - इसके लिए AIADMK से निकाली गईं सांसद शशिकला पुष्पा समेत कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। - इसमें आरोप लगाया गया था कि जयललिता की बीमारी को लेकर आखिरी तक सच को छुपाया गया। - यह भी कहा गया कि जयललिता की बॉडी को देखकर लग रहा था कि उनकी मौत काफी पहले हो चुकी थी, लेकिन इसे छुपाया गया। - हालांकि, कोर्ट ने इस पिटीशन को खारिज कर दिया था। जयललिता के निधन को 2 महीने हुए -बता दें कि लंबी बीमारी के बाद जयललिता का 6 दिसंबर को 68 साल की उम्र में का निधन हो गया था। - उन्होंने चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली थी। उन्हें 22 सितंबर 2016 को यहां भर्ती किया गया था। - तब बताया गया था कि उन्हें लंग्स इन्फेक्शन हुआ है। - अपोलो में भर्ती होने के बाद जयललिता को माइनर हार्ट अटैक आया। उन्हें पेसमेकर लगाया गया था। ये 24 से 27 सितंबर के बीच की बात थी। - इसके बाद 4 दिसंबर की शाम उन्हें फिर एक बार कार्डिएक अरेस्ट हुआ। इसके बाद से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। - आखिरकार 6 दिसंबर को देर रात उनकी मौत हो गई। क्या होता है सेप्सिस? - सेप्सिस आमतौर पर बैक्टीरिया के इन्फेक्शन की वजह से होता है। यह कई बार जानलेवा साबित होता है। - इसके शुरूआती लक्षण हार्ट बीट बढ़ना, फीवर आना और तेजी से सांस चलना हैं। - सेप्सिस की वजह से ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स काफी बढ़ जाती हैं। - ब्लड में किसी भी टॉक्सिक एजेंट की मौजूदगी से इस पर गलत असर होता है और यह सेप्सिस की वजह बन सकता है। - शरीर की इम्युनो पावर कम होने की वजह से सेप्सिस होने का खतरा बढ़ जाता है। - एंटीबायोटिक्स के गलत इस्तेमाल या डॉक्टर्स की सलाह बगैर इनके इस्तेमाल से इम्युनो पावर कम हो सकती है।