\'अच्छे दिन\' का वादा कर केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार के बीते एक वर्षों में देश की जनता को \'अच्छे दिन\' दिखा पाई या नहीं, ये बहस का विषय हो सकता है। केंद्र सरकार एक वर्ष की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिए कमर कस रही है, जबकि विपक्ष मोदी सरकार की विफलताएं गिना रहा है। बहस-मुबाहिसों के बीच मोदी सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर एक सर्वे की जरिए आम आदमी की नब्ज टटोलने की कोशिश की गई है। सर्वे में महज 19 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार को बहुत अच्छा माना है। 47 फीसदी ने ठीक-ठाक कहा है, जबकि 25 फीसदी की राय है मोदी सरकार न बहुत अच्छी है और न बुरी। मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की हुई सराहना टाइम्स ऑफ इंडिया-Ipsos के सर्वे में 6 फीसदी प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को थोड़ा-बहुत खराब और 3 फीसदी ने खराब बताया है। सर्वे में दावा किया गया है कि बड़े शहरों में मोदी सरकार के कामकाज अच्छे नंबर दिए गए हैं। सर्वे में 57 फीसदी लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार से शुरुआत में जो उम्मी़दें की गई थीं, वह दरअसल अवास्मेविक थीं। 48 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वच्छ भारत अभियान को मोदी सरकार की सबसे बेहतर पहल बताया। 32 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा है कि भाजपा के बड़बोले नेताओं को न रोक पाना ही मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती रही है। 25 फीसदी ने भूअधिग्रहण बिल को मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती माना है। 10 लखिया सूट को 22 फीसदी ने ही गलती माना नरेंद्र मोदी के अतिविवादित 10 लखिया सूट को 22 फीसदी ने ही मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती माना है। विकास में मामले में 20 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार बहुत अच्छा, 45 फीसदी ने थोड़ा-बहुत अच्छा माना है। रोजगार सृजन के मामले में भी महज 17 फीसदी ने मोदी सरकार बहुत अच्छा माना है, जबकि 30 फीसदी ने थोड़ा-बहुत अच्छा माना है।� उल्लेखनीय है लोकसभा चुनाव के नतीजे पिछले साल 16 मई को आए थे और नरेंद्र मोदी ने 26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। सीमा विवाद पर मोदी की चीन को खरी-खरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से साफ शब्दों में कहा है कि वह अरुणाचल प्रदेश और सीमा जैसे मुद्दों के प्रति अपनी नीतियों पर फिर से विचार करे, जिस वजह से पिछले कई दशकों से भारत और चीन के आपसी रिश्तों में अक्सर ठहराव की स्थिति पैदा होती रही है। पीएम ने जोर देते हुए कहा कि आपसी रिश्तों की प्रगति के रास्ते में विवाद आडे़ नहीं आने चाहिए। पीएम मोदी का बयान अपने चीनी पीएम ली केचियांग के साथ हुई उस बैठक के बाद आया है, जिसमें रेलवे, खनन, अंतरिक्ष, भूकंप विज्ञान, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में दस अरब डॉलर के रिकॉर्ड 24 समझौतों पर दस्तखत किए गए। माना जा रहा है कि इन समझौतों से दोनों देशों के देशों के रिश्तों में नई गर्मजोशी आएगी। इससे दोनों देशों के व्यापारिक असंतुलन को सुधारने में मदद मिलेगी, जो इस समय चीन के पक्ष में है। बीजिंग में सभी कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद पीएम शाम को ही शंघाई पहुंच गए, जहां उनकी शनिवार को कारोबारियों के साथ बैठक होनी है। नत्थी वीजा देने जैसे मुद्दों के प्रति अपनी नीतियों पर पुनर्विचार इससे पहले दोनों नेताओं की बैठक के बाद आए साझा बयान में कहा गया, ‘द्विपक्षीय रिश्तों और दोनों देशों के लोगों के दूरगामी हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्ष सीमा मुद्दे का सक्रिय रूप से राजनीतिक हल निकालने को प्रतिबद्ध हैं।’ चीन की संसद के एक कक्ष में मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय रिश्तों को आगे ले जाने के लिए रणनीतिक नजरिया अपनाना चाहिए। उन्होंने चीन से अरुणाचल के निवासियों को नत्थी वीजा देने जैसे मुद्दों के प्रति अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि सीमा के मसले पर हमने उचित, व्यावहारिक और आपसी सहमति से स्वीकार्य समाधान तलाशने पर सहमति जताई है। हम दोनों ने सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए हर तरह की कोशिश करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दर्शाई है। टाइम्स ऑफ इंडिया-Ipsos के सर्वे में 6 फीसदी प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को थोड़ा-बहुत खराब और 3 फीसदी ने खराब बताया है। सर्वे में दावा किया गया है कि बड़े शहरों में मोदी सरकार के कामकाज अच्छे नंबर दिए गए हैं। सर्वे में 57 फीसदी लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार से शुरुआत में जो उम्मी़दें की गई थीं, वह दरअसल अवास्मेविक थीं। 48 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वच्छ भारत अभियान को मोदी सरकार की सबसे बेहतर पहल बताया। 32 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा है कि भाजपा के बड़बोले नेताओं को न रोक पाना ही मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती रही है। 25 फीसदी ने भूअधिग्रहण बिल को मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती माना है। नरेंद्र मोदी के अतिविवादित 10 लखिया सूट को 22 फीसदी ने ही मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती माना है। विकास में मामले में 20 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार बहुत अच्छा, 45 फीसदी ने थोड़ा-बहुत अच्छा माना है। रोजगार सृजन के मामले में भी महज 17 फीसदी ने मोदी सरकार बहुत अच्छा माना है, जबकि 30 फीसदी ने थोड़ा-बहुत अच्छा माना है।� प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से साफ शब्दों में कहा है कि वह अरुणाचल प्रदेश और सीमा जैसे मुद्दों के प्रति अपनी नीतियों पर फिर से विचार करे, जिस वजह से पिछले कई दशकों से भारत और चीन के आपसी रिश्तों में अक्सर ठहराव की स्थिति पैदा होती रही है। पीएम ने जोर देते हुए कहा कि आपसी रिश्तों की प्रगति के रास्ते में विवाद आडे़ नहीं आने चाहिए। पीएम मोदी का बयान अपने चीनी पीएम ली केचियांग के साथ हुई उस बैठक के बाद आया है, जिसमें रेलवे, खनन, अंतरिक्ष, भूकंप विज्ञान, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में दस अरब डॉलर के रिकॉर्ड 24 समझौतों पर दस्तखत किए गए। माना जा रहा है कि इन समझौतों से दोनों देशों के देशों के रिश्तों में नई गर्मजोशी आएगी। इससे दोनों देशों के व्यापारिक असंतुलन को सुधारने में मदद मिलेगी, जो इस समय चीन के पक्ष में है। बीजिंग में सभी कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद पीएम शाम को ही शंघाई पहुंच गए, जहां उनकी शनिवार को कारोबारियों के साथ बैठक होनी है।