प्रधानमंत्री की अपील पर एक करोड़ गर्भवती महिलाओं ने कराया स्वास्थ्य परीक्षण

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

नयी दिल्ली: गर्भवती महिलाओं और नौनिहालों का जीवन बचाने के लिए पहली बार साढ़े पांच लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की हाई रिस्क जोन में पहचान हुई है। किसी में हीमोग्लोबिन की कमी है तो किसी को प्रसूति योग्य नहीं बताया है, जिसके बाद इन महिलाओं का समय रहते निशुल्क उपचार शुरू किया है। ये एक तरह की स्क्रीनिंग है, ताकि प्रसूति के दौरान होने वाली महिलाओं की मौतों को रोका जा सके। पिछले एक वर्ष में पूरे देश से एक करोड़ 93 हजार 884 गर्भवती महिलाओं ने नजदीकी सेंटर पर जाकर हर महीने चिकित्सीय सलाह ली है। साथ ही समय रहते टीकाकरण भी कराया है। 
रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र नंबर वन पर है, जहां 13 लाख 92 हजार 376 महिलाओं को निशुल्क उपचार मिला है। बता दें कि साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षित मातृत्व अभियान का जिक्र करते हुए देश भर के सरकारी और निजी डॉक्टरों से महीने की हर 9 तारीख को निशुल्क गर्भवती महिलाओं का उपचार करने की अपील की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरुआत भी की। इसी के तहत वर्ष 2017 में एक करोड़ से ज्यादा गर्भवती महिलाओं ने स्वास्थ्य लाभ लिया, जोकि अब तक का रिकॉर्ड है। 

राजस्थान की महिलाएं सबसे अधिक कमजोर

रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान की गर्भवती महिलाएं सबसे अधिक कमजोर मिली हैं। हाई रिस्क जोन में सर्वाधिक राजस्थान की 81, 124 और मध्य प्रदेश की 61, 339 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। जबकि इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है, जहां 59 हजार 750 महिलाओं को प्रसूति के लिए असुरक्षित पाया है। इसमें हरियाणा (16217), पंजाब (10643), हिमाचल प्रदेश (2309), उत्तराखंड (3029), दिल्ली (1934) और जम्मू कश्मीर (4504) शामिल है। 


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