NDA से अलग होकर 2019 का चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना- उद्धव

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

भाजपा की सबसे बड़ी पुरानी और सहयोगी पार्टी शिवसेना एनडीए से अलग होकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। बीजेपी-शिवसेना दोस्ती में टूट गई है|और 2019 में ही महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया है शिवसेना ने आज पार्टी कार्यकारणी मिटिंग में प्रस्ताव पास करके बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि प्रस्ताव पास किया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सभी लोकसभा और सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि हम अकेले दम पर लड़ेंगे तो 25 लोकसभा सीटें और 150 विधानसभा सीटें जीतने का दावा किया है। जबकि महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा और 288 विधानसभा सीटें है।  जबकि शिवसेना के पास मौजूदा समय में 63 विधायक हैं और 18 लोकसभा सदस्य हैं।

2014 में केंद्र की सत्ता पर नरेंद्र मोदी के विराजमान होने के बाद से ही शिवसेना सख्त तेवर अपनाए हुए हैं। सत्ता में सहयोगी रहते हुए भी शिवसेना ने मोदी के नेतृत्व सरकार पर जमकर हमले किए हैं। शिवसेना ने नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने से लेकर सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना करती रही है। मोदी के नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक शिवसेना ने कड़ा विरोध किया है। इतना ही नहीं मोदी द्वारा तीन तलाक विरोधी लाए बिल की भी शिवसेना ने मुखालफत किया है। इतना ही नहीं सपा और बसपा द्वारा EVM को लेकर उठाए सवाल पर भी सिवसेना बीजेपी से अलग खड़ी नजर आई।

बता दें कि शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही है। जब बीजेपी के संग कोई साथ चलने को तैयार नहीं था। तबसे शिवसेना बीजेपी के साथ है। अब इस दोस्ती में दरार पड़ती हुई नजर आ रही है और दोनों की राह जुदा हो रही है। 2014 में केंद्र की सत्ता पर नरेंद्र मोदी के विराजमान होने के बाद से ही शिवसेना सख्त तेवर अपनाए हुए हैं। सत्ता में सहयोगी रहते हुए भी शिवसेना ने मोदी के नेतृत्व सरकार पर जमकर हमले किए हैं। शिवसेना ने नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने से लेकर सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना करती रही है।

मोदी के नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक शिवसेना ने कड़ा विरोध किया है। इतना ही नहीं मोदी द्वारा तीन तलाक विरोधी लाए बिल की भी शिवसेना ने मुखालफत किया है। इतना ही नहीं सपा और बसपा द्वारा EVM को लेकर उठाए सवाल पर भी सिवसेना बीजेपी से अलग खड़ी नजर आई।

बता दें कि शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही है। जब बीजेपी के संग कोई साथ चलने को तैयार नहीं था। तबसे शिवसेना बीजेपी के साथ है। अब इस दोस्ती में दरार पड़ती हुई नजर आ रही है और दोनों की राह जुदा हो रही है।

 

 

 


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