थाने में शिकायत करने आने वाले लोगों को पहले कुर्सी पर बैठाया जाएगा। फिर उन्हें एक ग्लास पानी पीने के लिए दिया जाएगा। उसके बाद उनकी समस्या को सुनकर पिटीशनर रिस्पांस अफसर यानी पीआरओ आवेदन या तो खुद लिखेंगे या आवेदक से लिखवाएंगे।
जरूरत पड़ी तो पीआरओ फौरन पीड़ित को जीप या बाइक पर बैठाकर घटनास्थल पर ले जाएंगे। मामले की छानबीन करेंगे। कार्रवाई करने की जरूरत हुई तो फौरन कार्रवाई करेंगे। उसके बाद ओडी अफसर को केस दर्ज करने को कहेंगे। थाने में जो भी शिकायत करने आएंगे, उनका नाम, पता व मोबाइल नंबर भी लिखेंगे। पटना और नालंदा जिले के सभी 116 थानों में शनिवार की सुबह 8 बजे से पीआरओ की तैनाती हाे जाएगी।
ये 24 घंटे तैनात रहेंगे। 8-8 घंटे की इनकी ड्यूटी रहेगी। ये एसआई या एएसआई स्तर के होंगे। इनकी तैनाती संबंधित थाने के थानेदार करेंगे। इस नई व्यवस्था के लिए सेंट्रल रेंज के डीआईजी राजेश कुमार ने इस बाबत दोनों जिलों के पुलिस कप्तान, सभी डीएसपी, एसडीपीओ व थानेदारों को आदेश जारी किया है। पीआरओ की तैनाती हर थाने में ओडी अफसर से अतिरिक्त होगी।
पीआरओ की होगी ग्रेडिंग
शिकायतकर्ता रजिस्टर में पीअारओ की ग्रेडिंग भी करेंगे। बहुत अच्छा काम करने वाले पीआरओ को ए, अच्छा काम करने वाले को बी और ठीक से काम नहीं करने वालों को सी ग्रेड मिलेगा। ग्रेडिंग पर पीआरओ को इनाम मिलेगा या कार्रवाई होगी। इस ग्रेडिंग का असर उस थाने के थानेदार व संबंधित डीएसपी के परफार्मेंस पर भी पड़ेगा।
थाने में आने वाले लोगों को राहत पहुंचाना इसका प्रमुख मकसद है। उन्हें थाना में न थानेदार को खोजने की जरूरत है अौर न ही ओडी अफसर को। पीआरओ का काम केवल और केवल लोगों की शिकायत सुनना और आवेदन लिखना या पीड़ित से लिखवाना है। अभी ओडी अफसर अपनी भूमिका सही से नहीं निभा रहे थे। शिकायत करने आए लोगों की बात गंभीरता से नहीं सुनी जाती थी।
डीआईजी स्तर से पीआरओ के काम करने की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण होगा। डीआईजी अपने किसी विश्वसनीय या आम लोगों को किसी भी थाना में भेजकर यह पता लगवाएंगे कि पीआरओ कैसा काम कर रहें हैं। अगर किसी तरह की शिकायत मिली तो पीआरओ पर कार्रवाई तय है।