चेक बाउंस नहीं बनेगा सिरदर्द, फरवरी में लोक अदालत और नए कानून की योजना

रिपोर्ट: साभारः

नई दिल्ली। देश की अदालतों में अटके पड़े लाखों चेक बाउंस के मामलों को जल्द निपटाने की तैयारी है। मोदी सरकार इसके लिए फरवरी में लोक अदालत लगाने के साथ, बजट सत्र में नया कानून लाने का रोडमैप तैयार कर रही है। सरकार की कोशिश है कि चेक बाउंस के मामलों को जल्द निपटा कर कर्ज लेने वाले कस्टमर और बैंकों को राहत दी जाए। साथ ही अदालतों में भी अटके पड़े मामलों में कमी लाई जाए। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा मामले विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मनीभास्कर को बताया कि बैंकों ने बजट पूर्व बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने चेक बाउंस के लाखों अटके मामलों का मुद्दा उठाया है, जिसमें इस बात की मांग की गई है। ऐसे में मामलों को जल्द निपटाने के लिए बैंकों को ज्यादा अधिकार मिले, जिससे मामलों की संख्या में कमी आए। फरवरी में लेगेंगी लोक अदालत वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार फरवरी के महीने में सभी बैंकों के जरिए लोक अदालत लगाने की योजना है। इसके लिए मंत्रालय जरूरी कार्यवाही शुरू कर चुका है। लोक अदालत के जरिये ऐसे मामलों को निपटाया जाएगा जिनमें कर्ज लेने वाले ग्राहक के चेक बाउंस हो गए हैं, और उनका मामला कोर्ट में लंबित है। इसके पहले पिछले साल दिसंबर में बैंकों के जरिए लोक अदालत लगाई गई थी। रिकवरी मामलों की भी सुनवाई वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार फरवरी में लगने वाली लोक अदालत में बैंकों के रिकवरी मामलों की भी सुनवाई कराने की योजना है। बैंकों के बहुत से मामले डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में अटके पड़े हैं। जिन पर फैसलों में होने वाली देरी से उनके डूबे कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। बजट सत्र में नया कानून इसके अलावा कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट में भी बदलाव पर विचार कर रहे हैं। कानून में संशोधन के जरिये लीड बैंकों के पास अपने परिसर में ही चेक बाउंस मामलों के लिए लोक अदालत लगाने का अधिकार होगा। जिसका चेयरपर्सन सेवानिवृत्त जिला जज होगा, जिसकी नियुक्ति उच्च न्यायालय के सलाह पर की जाएगी। अभी बैंकों के पास अपने ही परिसर में लोक अदालत लगाने का अधिकार नहीं है। लोक अदालतें कोर्ट के परिसर में लगाई जाती हैं।


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