बड़ी चुनौतियों से निपटने की तैयारी में रहे उद्योग जगत : राजीव खेर

रिपोर्ट: साभार

नयी दिल्ली : प्रशांत और एटलांटिक क्षेत्र के आर-पार के देशों के बीच मुक्त व्यापार की दो वृहद संधियों के प्रति चिंता जाहिर करते हुये सरकार ने कहा है कि भारतीय उद्योग को इन समझौतों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये तैयार रहना होगा. गौरतलब है कि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) की बातचीत में शामिल है लेकिन देश प्रस्तावित प्रशांत प्रशांत पारीय भागीदारी (टीपीपी) और अंध महासागर के आर-पार के देशों के बीच व्‍यापार और निवेश भागीदारी संधि (टीटीआईपी) का हिस्सा नहीं है. वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कल कहा कि इन समझौतों से पूरी तरह से वैश्विक व्यापार प्रणाली का स्वरुप पूरी तरह बदल जायेगा. उन्होंने कहा, \'इन बडे समझौतों से भारतीय उद्योगों के समक्ष कई तरह की चुनौतियां खडी होंगी. उदाहरण के तौर पर इनसे अमेरिका और यूरोप जैसे परंपरागत भारतीय बाजारों में जो वरीयता मिली हुई है वह समाप्त हो जायेगी तथा उनके समक्ष ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण नियमों की रुपरेखा होगी.\' खेर ने कहा, \'भारतीय उद्योगों को इन चुनौतियों से निपटने के लिये तैयारी करनी होगी जिसके लिये सरकार को उपयुक्त माहौल तैयार करना होगा.\' वाणिज्य सचिव ने कहा कि भारत की भविष्य की द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार संबंध क्षेत्रों और देशों के साथ होंगे. ये देश और क्षेत्र न केवल महत्वपूर्ण बाजार होंगे बल्कि भारतीय उद्योगों को कच्चे माल और दूसरे जरुरी सामान के प्रमुख आपूर्तिकर्ता होंगे. ये भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुपूरक होंगे. टीपीपी में 12 देशों के बीच प्रस्तावित समझौते पर बातचीत चल रही है. इनमें आस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चिले, कनाडा, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरु, सिंगापुर, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं. टीटीआईपी का समझौता यूरोपीय संघ और अमेरिका शामिल हैं. 16 सदस्यीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में आसियान के दस सदस्य और छह एफटीए भागीदार भारत, चीन, जापान, कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. खेर ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना केवल एक शुरुआत है और यह प्रक्रिया की समाप्ति नहीं है. इससे व्यापारियों को फायदा होगा.


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