मालेगांव ब्लास्ट: ले.कर्नल पुरोहित को 9 साल बाद बेल, सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

रिपोर्ट: ramesh pandey

नई दिल्ली. मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के जमानत न देने के ऑर्डर को खारिज करता है। लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित नौ साल से जेल में बंद थे। बता दें कि 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम धमाका हुआ था। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 100 लोग जख्मी हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित सहित 12 लोग गिरफ्तार किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त के साथ दी जमानत... - सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरके अग्रवाल और एएम सप्रे की बेंच ने कहा कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट के उस ऑर्डर को खारिज करते हैं, जिसमें लेफ्टिनेंट कर्नल को जमानत देने से इनकार किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वह लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को जमानत देने के लिए उन पर कुछ शर्तें लगा रहा है। - बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। ले.कर्नल पुरोहित ने क्या दी दलील? - 17 अगस्त को पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उन्हें राजनीति के आपसी टकराव की वजह से पकड़ा गया और वे नौ साल से जेल में बंद हैं। - पिटीशन में उन्होंने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी, लेकिन उनको जमानत देने से इनकार कर दिया। इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर जमानत दे दी जाए। - पिटीशन में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया, जिसमें कहा गया है कि वे सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे। NIA ने किया था जमानत का विरोध - सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने इस मामले में एनआईए से जवाब भी तलब किया था। - इसके जवाब में एनआईए ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध किया था। बता दें कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने माना था कि कर्नल पुरोहित बम बनाने और सप्लाई करने में शामिल थे। साध्वी प्रज्ञा समेत 7 को अप्रैल में मिली थी जमानत - मालेगांव ब्लास्ट मामले में ही आरोपी प्रज्ञा ठाकुर और उनके छह सहयोगियों को इसी साल अप्रैल में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी। उस वक्त कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया (prima facie) साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। - कोर्ट ने यह भी कहा था कि साध्वी प्रज्ञा एक महिला हैं और 8 साल से ज्यादा समय से जेल में हैं। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है और वह काफी कमजोर हो गई हैं, बिना सहारे चलने में भी लाचार हैं। कोर्ट ने कहा था- गलत तरीके से लगाया मकोका - इससे पहले स्पेशल मकोका कोर्ट ने कहा था कि एटीएस साध्वी प्रज्ञा, पुरोहित और नौ अन्य लोगों पर गलत तरीके से यह कानून (मकोका) लगाया है। - एटीएस ने 4000 पेज की चार्ज शीट में आरोप लगाया गया था कि मालेगांव को ब्लास्ट के लिए इसलिए चुना गया, क्योंकि यहां मुस्लिमों की बड़ी आबादी है। - बता दें कि इस केस में साध्वी प्रज्ञा, पुरोहित और स्वामी दयानंद पांडे मुख्य आरोपी थे। क्या है मामला? - बता दें कि 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में बम धमाका हुआ था। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 100 लोग जख्मी हुए थे। - ब्लास्ट उस वक्त किए गए थे, जब लोग रमजान के दौरान नमाज पढ़ने जा रहे थे। इन ब्लास्ट के पीछे हिंदू राइट विंग ग्रुप्स से जुड़े लोगों का हाथ होने की बात सामने आई थी।


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