नरेंद्र मोदी पर लोकसभा में बरसीं सोनिया गांधी,कहा आरटीआई को निष्प्रभावी करने में लगी है केंद्र सरकार

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि देश में आधे से अधिक सूचना आयुक्त कार्यालयों में ढांचागत सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से आरटीआई को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश में लगी है। उन्होंने लोकपाल के पद के खाली रहने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि मई 2014 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद व्हिस्लब्लोअर विधेयक को अधिसूचित नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार विधेयकों को आगे बढ़ाने में ‘‘अभूतपूर्व जल्दबाजी’’ दिखा रही है। उधर सरकार ने उनके इन आरोपों को खारिज किया और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सीवीसी के पद को अभी तक इसलिए नहीं भरा गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय मामले को देख रहा है और एक चयन समिति सीआईसी पद के लिए उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है जिसके लिए सरकार ने ‘‘पारदर्शिता के हित में ’’ सार्वजनिक रूप से विज्ञापन देकर आवेदन मांगे थे। मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस सदस्य सदन से वाकआउट कर गए जबकि मंत्री ने कहा कि संप्रग शासनकाल के दौरान भी सूचना आयुक्तों के कुछ पद खाली रहे थे। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे ‘‘राजनीतिक हितों को अलग रखते हुए ’’ तथ्यों को सुनें। कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का विस्तार से जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 28 सितंबर 2014 में सीवीसी का पद खाली होने के बाद से नियुक्ति की प्रक्रिया जारी थी लेकिन मामला अदालत में चला गया। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने 17 दिसंबर को एक निर्देश जारी कर सरकार से इस संबंध में जारी प्रक्रिया के बारे में सूचित करते रहने को कहा था और अब इस मामले में जुलाई में सुनवाई होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इसमें कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से कोई देरी नहीं हुई है। जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जहां तक मुख्य सूचना आयुक्त का संबंध है, पूर्व में कई ऐसे अवसर आए हैं जब कई सूचना आयुक्तों के पद खाली थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में केवल पांच सूचना आयुक्त थे। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ संप्रग के शासनकाल में कभी भी दस सूचना आयुक्त नहीं रहे।’’ उन्होंने इन आरोपों से भी इंकार किया कि राजीव माथुर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीआईसी का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। उन्होंने कहा कि केवल वित्तीय शक्तियां कार्मिक एवं लोक प्रशिक्षण विभाग को कुछ समय के लिए दी गयी थीं और उसके बाद ये जिम्मेदारी सीआईसी के सचिव को सौंप दी गयी। व्हिस्लब्लोअर विधेयक के संबंध में उन्होंने कहा कि यह संप्रग के पिछले दस साल के शासन की कहानी बयां करता है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने संप्रभुत्ता और सुरक्षा के संबंध में कई सुझाव दिए थे और उन सभी को स्वीकार कर लिया गया था। उन्होंने कहा, लेकिन पिछले वर्ष फरवरी में जब संप्रग शासन समाप्ति की ओर था तो इस विधेयक को ध्वस्त कर दिया गया। लोकपाल के मुद्दे पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि समिति के न्यायविद के संबंध में कोई निर्धारित कार्यकाल नहीं है और इसीलिए सरकार ने इसे तीन साल सीमित कर दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा लोकसभा में विपक्ष के नेता के अभाव में चयन समिति में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल किया गया है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘आपको तो इसके लिए आभारी होना चाहिए और सराहना करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा अब यह मामला स्थायी समिति के पास है और सरकार समिति की रिपोर्ट आने तक कुछ नहीं कर सकती। संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिए कांग्रेस सदस्यों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मंत्री और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष को पूरी शांति के साथ सुना लेकिन अब कांग्रेस सदस्य मंत्री का जवाब सुने बिना वाकआउट कर गए।


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