सोचिए अगर बिना मेहनत करे ही आपके शरीर का मोटापा घट जाए तो। बिना कसरत करे ही आपका वजन कम हो जाये तो। जी हां, वैज्ञानिकों ने अब हमारे शरीर में एक ऐसे प्रोटीन को खोज निकाला है जिससे आप एक भी उंगली हिलाए बिना, सिर्फ एक इंजेक्शन से मोटापे को कम कर सकेंगे। ये ऐसा प्रोटीन है जो व्यायाम करने पर चर्बी को घटाता है। इसका नाम है इंटरल्यूकिन-6 और ये हमारे शरीर में मेहनत करने के वक्त मोटापा कम करने के निर्देश को पूरा करता है। कोपेनहेगन के वैज्ञानिक अब इस उम्मीद में हैं कि शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाकर मेहनत करे बिना यह
पटना : पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के प्रति जागरूकता के लिए गायनाकोलॉजिस्ट फोरम और पटना गायनाकोलॉजिस्ट फोरम के द्वारा आयोजित 'फेस ऑफ कॉफिंडेंस' वाकाथॅन में सैकड़ों गायनाकोलॉजिस्ट ने दौड़ लगाई। 'फेस ऑफ कॉफिंडेंस' वाकाथॅन की शुरूआत बेयर जायडस फार्मा के सहयोग से मौर्या होटल से हुई, जहां प्रदेश के सैकड़ों गायनाकोलॉजिस्ट ने इसके बारे में लोगों को अवगत कराया।
इस दौरान पटना गायनाकोलॉजिस्ट फोरम की महासचिव सह प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अनिता सिंह ने कहा कि पीओसीएस को आमतौर पर साइलेंट डिसऑर्डर माना जाता है। इससे आधी से ज्यादा पीडि़त महिलाओं की पहचान नहीं हो पाती है। इससे महिलाओं
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पेपर सेंसर बनाने में सफलता हासिल की है जो लार की मदद से ब्लड शुगर का स्तर पता लगाने में सक्षम है। अभी शुगर की जांच के लिए खून की बूंद का इस्तेमाल किया जाता है। किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इंकजेट टेक्नोलॉजी की मदद से इस सेंसर को तैयार किया है। इसके लिए कागज पर सूक्ष्म इलेक्ट्रॉड बनाए गए और उसके ऊपर विशेष एंजाइम ‘ग्लूकोज ऑक्सीडेज’ की परत लगाई गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि लार में उपस्थित ग्लूकोज और इस एंजाइम के बीच होने वाले बायोकेमिकल रिएक्शन से इलेक्टिक सिग्नल पैदा होता है। इसकी मदद से ब्लड शुगर
हमारा स्वास्थ्य इस पर ही निर्भर नहीं करता है कि हम कितना पौष्टिक भोजन खाते हैं, यह भी मायने रखता है कि हमारा शरीर उस भोजन को कितना पचा पाता है और उनमें से पोषक तत्वों को कितनी मात्रा में अवशोषित कर पाता है। आंतें हमारे पाचन तंत्र का सबसे प्रमुख भाग हैं। हमारे द्वारा खाए भोजन का पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से यहीं होता है। इसलिए आपनी आंतों समस्याओं और उनकी पहचान करना जरूरी है। साथ ही कोई समस्या न हो इसकी रोकथाम के उपाय जानना भी बेहद जरूरी है-
हम जो भी खाते-पीते हैं, उसका पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से छोटी और बड़ी
इन दिनों लोग वातावरण में फैल रहे स्मॉग या वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। स्मॉग के प्रदूषक तत्व सांस के जरिये हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होते हैं। ये कुछ समय बाद फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज, साइनोसाइटिस आदि स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। बचाव के अनेक आयुर्वेदिक उपाय बता रही हैं रजनी अरोड़ा
प्रदूषण से बचने के लिए जरूरी है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। प्रदूषण के अति सूक्ष्म तत्व, जिन्हें मेडिकल की भाषा में फ्री-रेडिकल्स बुलाया जाता है, को साफ करने
भागमभाग भरी लाइफस्टाइल और हमारे खानपान की आदतों के कारण आज कोई न कोई किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा है। वजह है शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी। इसमें कोई शक नहीं कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अच्छी डाइट और उचित लाइफस्टाइल की जरूरत है। ऐसे में फिट और सेहतमंद बने रहने के लिए खानपान में कुछ बदलाव लाना बेहद जरूरी है। आइए जानें ऐसी चीजों के बारे में, जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
ब्रोकली
इसमें विटामिन ए और सी के अलावा ग्लूटाथियोन नामक एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाली
स्मार्टफोन आज लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। कुछ लोग तो शायद स्मार्टफोन के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते हैं। स्मार्टफोन्स पर लोगों की इतनी निर्भरता हो गई है कि इसके बिना गाड़ी तुरंत थम जाती है। बड़ों के लिए स्मार्टफोन्स जहां जरूरत बन गए हैं, वहीं बच्चों के लिए ये मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है। लेकिन बच्चों की सेहत के लिए स्मार्टफोन कितना घातक साबित हो सकता है, ये हाल ही में हुए शोध में सामने आया है। स्मार्टफोन्स बच्चों की आंखों ही नहीं, बल्कि दिमाग को भी कमजोर कर रहे हैं। ऐसे में जितना हो सके, उतना स्मार्टफोन्स को अपने
हर समय थका-थका महसूस करते हैं? हाथ-पैर में जान ही नहीं मालूम पड़ती है? तेजी से बाल झड़ने की शिकायत भी सता रही है? अगर हां तो हर दूसरे दिन धूप सेंकना शुरू कर दें क्योंकि मुमकिन है आप विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हों। डॉक्टर स्टीवन लिन के नेतृत्व में हुए ब्रिटिश स्वास्थ्य सेवा के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट का स्तर नियंत्रित रखने के साथ ही उनके इस्तेमाल की क्षमता निर्धारित करने के लिए भी अहम माना जाता है। हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही यह रोगों
अगर कोई आपको ऊंची आवाज में धमकी देता है, तो आपका दिमाग बहुत तेजी से उस पर प्रतिक्रिया करता है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि गुस्से वाली आवाज सुनने पर हमारा दिमाग बहुत तेजी से संवेदनशील हो जाता है। डराने-धमकाने वाली स्थिति को भांपने के लिए इंसान देखने और सुनने पर निर्भर होता है।
स्विट्जरलैंड के जिनेवा विश्वविद्यालय के शोधकर्ता निकोलस बुरा का कहना है कि हम यह जानना चाहते थे कि हमारे आसपास की अलग-अलग आवाज पर हमारा दिमाग कैसे प्रतिक्रिया करता है। साथ ही संभावित खतरे से वह कैसे निपटता है। शोधकर्ताओं ने इंसानी आवाज के
स्वास्थ्य के लिए फलों को सर्वोत्तम आहार माना जाता है। लगभग हर फल में प्रोटीन, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए शरीर को स्वस्थ और पोषण देने के लिए हमें अपने नियमित आहार में फलों को शामिल करना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोगों को फल
तेजी से फैलने वाले कछ पर्यावरणीय प्रदूषक आपके किडनी के स्वास्थ्य पर नुकसानदेह असर डाल सकते हैं। एक नए अध्ययन इस बात का खुलासा हुआ है। अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि पर एंड पॉलीफ्लोरोअल्काइल सबस्टांसेस (पीएफएएस) औद्योगिक प्रक्रियाओं और उपभोक्ता उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले नॉन बायोडिग्रेडेबल (स्वाभाविक तरीके से नहीं सड़ने वाले) पदार्थों का एक बड़ा समूह है और ये पर्यावरण में हर जगह मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य दूषित मिट्टी, पानी, खाने और हवा के जरिए पीएफएएस के संपर्क में आते हैं। पीएफएएस के संपर्क से किडनी पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने अन्य प्रासंगिक