नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बिहारी वाजपेयी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न देने का एलान हो गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। इन दोनों नेताओं को यह सम्मान स्वतंत्रता दिवस यानी 26 जनवरी को दिया जा सकता है। मदन मोहन मालवीय का परिचय महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था। वे भारत के पहले और अंतिम अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की

योजना को तभी सफल माना जाएगा, जब लाभ पात्र परिवारों तक पहुंचे। ऐसा नहीं होता तो साफ है कि व्यवस्था में छेद है। अपात्र लोगों को लाभ पहुंचने से योजना की सार्थकता खत्म हो जाती है। जरूरतमंदों के लिए उठाए गए कदम भी वहीं के वहीं रह जाते हैं, जहां से शुरुआत हुई थी। प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न वर्गो के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनसे कई पात्र लोग लाभान्वित हो रहे हैं लेकिन कुछ योजनाएं ऐसी हैं जिनका लाभ अपात्र उठा रहे हैं। ऐसी ही एक योजना गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के कल्याण की है, जिसमें अपात्र लोगों की घुसपैठ से

कश्मीर फिर चर्चा के केंद्र में है और इसकी वजह है प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह राना का बयान, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 की बात की. इससे पहले भी लगातार हमारे संविधान का यह अनुच्छेद राजनीतिक प्रोपेगैंडा का हथियार बनता रहा है. कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, पूर्व का जनसंघ और वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी, वामपंथी, समाजवादी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदि सब अपने-अपने स्वार्थ से मेल खाने वाला सच बताते रहे हैं. हम भारत के लोग इसी प्रोपेगैंडा के आधार पर ही अपनी राय कश्मीर और अनुच्छेद 370 को लेकर बनाते रहे हैं. चूंकि इन ताकतों द्वारा उजागर किया जाने वाला सच स्वार्थ प्रेरित है, लिहाजा हम भारत के लोग

पेशावर की एक बिलखती मां ने सवाल किया- क्या यह इसलाम है? भारतीय उलेमा ने इस सवाल का जवाब दिया- नहीं, यह इसलाम नहीं है. लेकिन, अहम सवाल यह है कि मौलाना इसलाही के बेरहमाना हिंसा पर ये उलेमा क्या कहेंगे? क्या उन्हें मुसलमान नहीं कहा जाये? पेशावर में मासूमों के कत्ल के बाद एक महिला ने पूछा, ‘क्या यह इसलाम है?’ वह खून से लथपथ अपने स्कूल जानेवाले बच्चों की लाशों के ऊपर रो रही थी. मासूम बच्चों और महिला शिक्षा के फिक्रमंदों की हत्या करनेवालों का संबंध पाकिस्तान के तालिबान से है. ये लोग दीनी मदारिस के छात्र हैं, जो इसलाम की शिक्षाओं से अच्छी तरह परिचित

भारतीय क्रिकेट टीम पर हमेशा यह आरोप लगता रहता है कि वे घर के शेर हैं और बाहर जाकर उनकी सारी हेकड़ी गुम हो जाती है. भारतीय क्रिकेट टीम के रिकॉर्ड पर अगर नजर डालें, तो यह बात कुछ हद तक सही भी प्रतीत होती है, क्योंकि अक्सर जो बल्लेबाज और गेंदबाज भारतीय पिच पर कहर बरपाते नजर आते हैं, वही विदेशी धरती पर बुरी तरह से फ्लॉप हो जाते हैं. हालिया परफारर्मेंस पर अगर नजर डालें, तो जिस विराट कोहली की हम प्रशंसा करते नहीं थकते उसी विराट कोहली का बल्ला वर्ष की शुरुआत मेंआयोजित इंग्लैंड दौरे के दौरान बुरी तरह पिट गया था और उससे एक भी रन नहीं

भारत में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। दुनिया के एक-तिहाई निर्धनतम लोग यहां रहते हैं। उचित उपचार व पालन-पोषण के अभाव में हर साल पांच वर्ष से कम आयु के सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। 60 फीसदी से ज्यादा लोग खुले आसमान के नीचे दैनिक क्रियाएं संपन्न करते हैं। हमारे यहां टॉयलेट नहीं हैं और न मकान हैं। दुनिया के सर्वाधिक बेघर हमारे यहां हैं। झुग्गी में रहने वालों की संख्या ब्रिटेन की आबादी के तीन गुने से ज्यादा है। डॉलर वाले अरबपतियों की संख्यामें हम दुनिया में छठे स्थान पर हैं। शीर्ष 100 भारतीय अरबपतियों के पास 175 अरब डॉलर की सामूहिक संपत्ति है। हॉन्गकांग, स्विट्जरलैंड,

बिहार के सीवान जिले में रघुनाथपुर प्रखंड से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है पंजवार. राजेंदर बाबू के गांव जिरादेई से भी बहुत दूरी नहीं है इस गांव की. वहां पहली बार जाना हुआ था इस बार. तीन दिसंबर को. राजेंदर बाबू की जयंती के अवसर पर. मौका था भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए हुए एक अ-साधारण आयोजन का. आप भी पढ़ें निराला सोशल मीडिया के जरिये ही दुबई में रहनेवाले एक साथी नबीन कुमार भोजपुरिया से परिचय इसी साल के आरंभ में हुआ था. फिर बीच में पटना में मुलाकात हुई थी. उन्होंने ही कहा था कि एक साधारण-सा आयोजन करते हैं हमलोग हर साल पंजवार में


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